धनतेरस(25/10) व दिपावली(27/10/19) पर मंत्रपूजन
1.धनतेरस पर भगवान धन्वन्तरी की पूजा की जाती हैं जो भगवान विष्णु का एक रूप है व उनका प्रिय धातू पीतल हैं अत: धनतेरस पर पीतल की आईटम जरूर लेनी चाहिये।आरोग्य प्राप्ति हेतू जाप करें।
मंत्र-
ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः
2.धनतेरस पर घर में धनधान्य,समृध्दि हेतू भगवान कुबेर की पूजा निम्न मंत्र से करे।
मंत्र-
"ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रणवाय धनधान्यादि पतये धन्यधान्य समृध्दि में देहि देहि दापय दापय स्वाहा"
3.धनतेरस को अकालमृत्यु से बचाव हेतू सायं प्रदोषकाल में "यम दीपदान" करते है।चार रूई की बत्तियां रख कर दिये को तिल के तेल से भर प्रज्वलित कर, यमराजजी को याद कर दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करे, दीपक को लाई की ढेरी के ऊपर रख दें।
मंत्र-
"मृत्युना पाश दण्डाभ्यां कालेन च मया सह।
त्रयोदश्यां दीप दानात् सूर्यज: प्रीयता मिति॥"
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1.दिपावली को सांयकाल में पूजा के समय लक्ष्मी विनायक मंत्र के जाप से यश ऐश्वर्य मान प्राप्त होता हैं।
मंत्र-
"ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥"
2.दीपावली पर धन-सम्पत्ति प्राप्ति हेतू भगवान कुबेर का ध्यान इस मंत्र से करे।
मंत्र-
"कुबेर त्वं धनाधीश गृहे ते कमला स्थिता।
तां देवीं प्रेषयाशु त्वं मद्गृहे ते नमो नम:।।"
3.दिपावली की मध्य रात्रि पर सिंह लग्न में(01.31 से 03.46) में "कनक धारा स्त्रोतम्" के पाठ करने पर लक्ष्मीजी की विशेष कृपा प्राप्त होती हैं।
4.आर्थिक कर्जे से उभरने के लिये दिपावली की मध्य रात्री में सिंह लग्न में "ऋणहर्ता गणपति मन्त्र" का 11 हजार जाप,कर्जे को खत्म करने में सहायक होता हैं।
मंत्र-
ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥
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*दिपावली को लक्ष्मीजी के पूजन के साथ सरस्वतीजी व गणेशजी की पूजा भी की जाती हैं क्योंकिं लक्ष्मी स्वभाव से चंचला होती हैं एक जगह नही टिकती हैं धन हमारे पास टिके और हम इसका सद् उपयोग करे इसके लिये हमें सद्बुध्दि व ज्ञान की जरूरत होती है जो सरस्वतीपूजा से मिलती हैं और सर्वपूजन व कार्य जो हमने किया हैं वो बिना बाधा के पूर्ण हो और हमे पूजा फलदायी हो,इसलिये विध्नहर्ता गणेशजी की पूजा सर्वप्रथम की जाती हैं।
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