शरद पूर्णिमा 13 अक्टूबर

 🌟 *कोजागरी/शरद पूर्णिमा-13 अक्टूबर रविवार*🌟
*धार्मिक मान्यता*
पौराणिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की मध्यरात्रि में चंद्रमा की सोलह कलाओं से अमृत वर्षा होने पर ओस के कण के रूप में अमृत बूंदें खीर के पात्र में भी गिरेंगी जिसके फलस्वरूप यही खीर अमृत तुल्य हो जायेगी, जिसको प्रसाद रूप में ग्रहण करने से प्राणी आरोग्य एवं कांतिवान रहेंगे।
*वैज्ञानिक मान्यता*
शरद पूर्णिमा की रात को छत पर खीर को रखने के पीछे वैज्ञानिक तथ्य भी छिपा है। खीर दूध और चावल से बनकर तैयार होता है। दरअसल दूध में लैक्टिक नाम का एक अम्ल होता है। यह एक ऐसा तत्व होता है जो चंद्रमा की किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है। वहीं चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया आसान हो जाती है। इसी के चलते सदियों से ऋषि-मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर खुले आसमान में रखने का विधान किया है और इस खीर का सेवन सेहत के लिए महत्वपूर्ण बताया है। एक अन्य वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार इस दिन दूध से बने उत्पाद का चांदी के पात्र में सेवन करना चाहिए। चांदी में प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। इससे विषाणु दूर रहते हैं। 
प्रेषित- https://g.page/udaseenguruji