वट् पूर्णिमा

 *वट् सावित्री पूर्णिमा 16/17 जून 2019*
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पूर्णिमा आरम्भ-दोपहर 14.01 से (16 जून)
पूर्णिमा समाप्ति-दोपहर 14.00 तक(17 जून)
ज्येष्ठ पूर्णिमा को चूंकि वट पूर्णिमा व्रत के रूप में मनाया जाता है इसलिये वट सावित्री व्रत पूजा विधि के अनुसार ही वट पूर्णिमा का व्रत किया जाता है। इस दिन वट वृक्ष की पूजा करने का विधान है। वट वृक्ष के नीचे ही सुहागिन स्त्रियां सत्यवान सावित्री की कथा भी सुनती हैं। इस पूजा के लिये दो बांस की टोकरियां लेकर एक में सात प्रकार का अनाज कपड़े के दो टुकड़ों से ढक कर रखा जाता है वहीं दूसरी टोकरी में मां सावित्री की प्रतिमा रखी जाती है जिसके साथ धूप, दीप, अक्षत, कुमकुम, मौली आदि पूजा सामग्री भी रखते हैं। सावित्री की पूजा कर वट वृक्ष को सात चक्कर लगाते हुए मौली के धागे से बांधती है। इसके पश्चात व्रत कथा सुनते हैं। इसके पश्चात किसी योग्य ब्राह्मण या फिर किसी गरीब जरूरतमंद को श्रद्धानुसार दान-दक्षिणा दी जाती है। प्रसाद के रूप में चने व गुड़ का वितरण किया जाता है।
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प्रेषित- www.vinayaktantra.com