बुध्द पूर्णिमा 18 मई 2019

 *🕉 बुद्ध पूर्णिमा-18 मई शनिवार 2019 🕉*
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गया के बौद्ध भिक्षु नागसेना बताते हैं कि बुद्ध पूर्णिमा को बौद्ध जगत में त्रिविध जयंती के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि वैशाख पूर्णिमा के दिन ही राजकुमार सिद्धार्थ का जन्म लुंबिनी में, बुद्धत्व की प्राप्ति उरुवेल वन (बोधगया का पुराना नाम) में और उनका महापरिनिर्वाण कुशीनगर में हुआ था।' वैशाख पूर्णिमा बौद्धों के लिए पवित्रतम दिनों में से एक होता है।
*महात्मा बुद्ध* का अपने निर्णय पर सोच-विचार करना मानव स्वभाव है। यही बुद्ध की प्रकृति भी है। उनके इस सोच-विचार से दो बातें सीखी जा सकती हैं। एक तो यह कि असफलता मिले या सफलता, हमें निरंतर प्रयास में लगे रहना चाहिए। दूसरा यह कि मनुष्य जीवन भर सीख ग्रहण करता रह सकता है। चाहे महान लोगों का जीवन चरित हो या छोटे-से जीव का सामान्य सा कार्य, हम सीख किसी से भी ग्रहण कर सकते हैं। जिस तरह से महात्मा बुद्ध ने प्रयास किया और बुद्धत्व को प्राप्त किया, ठीक उसी तरह हम सामान्य लोग भी बुद्धत्व को प्राप्त कर सकते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि हम सभी के अंदर बुद्धत्व के बीज मौजूद हैं। निरंतर कर्म पथ पर चलते रहने और लगातार कोशिशों से हम भी बुद्धत्व को प्राप्त कर सकते हैं।
 
*महात्मा बुध्द के संदेशो मे से एक चुनिंदा संदेश*-एक धोखेबाज व झूठा मित्र/रिश्तेदार, किसी जंगली जानवर से ज्यादा खतरनाक होता हैं क्यूंकि एक जंगली जानवर केवल आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकता हैं (जिसका ईलाज सम्भव हैं)जबकि धोखबाज इंसान आपके दिमाग को स्थायी आघात पहुँचा सकता हैं।
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