शीतला सप्तमी 27 मार्च 2019

 *🌹शीतला सप्तमी 27 मार्च,बुधवार 2019🌹*
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पूजा मुहूर्त- (सुबह 06.28 से सांय 18.37 तक)
त्यौहार हमारे जीवन को हर्ष और उल्लास से भर देते हैं। अभी होली की उमंग सबके मन को रंगो से सराबोर किए हुए है कि शील सप्तमी की पूजा का दिन आ गया क्योंकि हमारा देश परंपरओं का देश है। हमारे देश के हर क्षेत्र की अलग-अलग परंपराएं है उन्हीं में से एक परंपरा है फाल्गुन के महीने में होली के बाद आने वाली सप्तमी को शीतला सप्तमी या शील सप्तमी या अष्टमी के रूप में मनाने की। यह त्यौहार हमारे देश की अधिकांश क्षेत्रों विशेषकर मालवा, निमाड़ व राजस्थान में मनाया जाता है।
 
शीतला सप्तमी से जुड़े कई लोक गीत है। उसी में से एक है – 
*सीली सीतला ओ माँय,*
*सरवर पूजती घर आय,*
 *ठँडा भुजिया चढाय* 
*सरवर पूजती घर आय*– 
इसी प्रकार सभी व्यंजनों के नाम लिए जाते जो माता रानी की भोग के लिए बनाये जाते है। इस दिन ठंडा भोजन खाए जाने का रिवाज है इसका धार्मिक कारण तो यह है कि शीतला मतलब जिन्हे ठंडा अतिप्रिय है। इसीलिए शीतला देवी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें ठंडी चीजों का भोग लगाया जाता है। दरअसल शीतला माता के रूप में पँथवारी माता को पूजा जाता है। पथवारी यानी रास्ते के पत्थर को देवी मानकर उसकी पूजा करना। उनकी पूजा से तात्पर्य यह है – कि रास्ता जिससे हम कही भी जाते हैँ, उसकी देवी ।
 
वह देवी हमेशा रास्ते में हमें सुरक्षित रखे और हम कभी अपने रास्ते से ना भटके इस भावना से शीतला के रूप में पथवारी का पूजन किया जाता है। 
मां शीतला का पर्व किसी न किसी रूप में देश के हर कोने में मनाया जाता है। विशेष कर चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतला सप्तमी-अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को बसोरा (बसौड़ा) भी कहते हैं। बसोरा का अर्थ है बासी भोजन। शीतला माता हर तरह के तापों का नाश करती हैं और अपने भक्तों के तन-मन को शीतल करती हैं।
शीतला दिगंबर है, गर्दभ पर आरूढ है, शूप, मार्जनी और नीम पत्तों से अलंकृत है। अत: शीतला सप्तमी-अष्टमी पर *शीतला माता का पाठ* करके निरोग रहने के लिए निम्न मंत्र से प्रार्थना की जाती है। 
 
*वन्देऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बरराम्‌*
*मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम्‌।*
 
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प्रेषित- www.bit.ly/Jyotish4BetterLife