होलाष्टक 14 मार्च 19

 *होलाष्टक आरम्भ-14 मार्च 2019, गुरूवार*
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होलिका दहन इस साल 21 मार्च को है और होली से 8 दिन पहले होलाष्‍टक लग जाते हैं। होलाष्‍टक लगते ही हिंदू धर्म में सभी शुभ कार्य वर्जित माना जाता है क्योंकि इसे अशुभ समय माना जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार फाल्गुन शुक्लपक्ष अष्टमी से फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा तक की अवधि को होलाष्टक कहा जाता है। इस बार होलाष्‍टक 14 मार्च से लग रहे हैं। 14 मार्च से लेकर 21 मार्च तक होलाष्‍टक रहेंगे और इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाएगा। इस दिन से होलिका दहन के लिए लकड़ियां एकत्रित करने का काम आरंभ होगा। 
 
*क्या है होलाष्टक?*
होलाष्टक का आशय है होली के पूर्व के आठ दिन हैं, जिसे होलाष्टक कहते हैं। धर्मशास्त्रों में वर्णित 16 संस्कार जैसे- गर्भाधान, विवाह, पुंसवन (गर्भाधान के तीसरे माह किया जाने वाला संस्कार), नामकरण, चूड़ाकरण, विद्यारंभ, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, गृह शांति, हवन-यज्ञ कर्म आदि नहीं किए जाते। इन दिनों शुरु किए गए कार्यों से कष्ट की प्राप्ति होती है। इन दिनों हुए विवाह से रिश्तों में अस्थिरता आजीवन बनी रहती है अथवा टूट जाती है. घर में नकारात्मकता, अशांति, दुःख एवं क्लेष का वातावरण रहता है। 
 
*होलाष्टक की परंपरा*
जिस दिन से होलाष्टक प्रारंभ होता है, गली मोहल्लों के चौराहों पर जहां-जहां परंपरा स्वरूप होलिका दहन मनाया जाता है, उस जगह पर गंगाजल का छिड़काव कर प्रतीक स्वरूप दो डंडों को स्थापित किया जाता है। एक डंडा होलिका का एवं दूसरा भक्त प्रह्लाद का माना जाता है। इसके पश्चात यहां सूखी लकड़ियां और उपले लगाए जाने लगते हैं। जिन्हें होली के दिन जलाया जाता है, जिसे होलिका दहन कहा जाता है। 
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प्रेषित- www.bit.ly/Jyotish4BetterLife