दत्त जयन्ती

 *मार्गशीर्ष पूर्णिमा 22 दिसम्बर,शनिवार*
दि:22 दिसम्बर शनिवार को पूरे दिन पूर्णिमा हैं।
इसी दिन *श्री दत्तात्रेय जयन्ती* भी हैं।
सनातन वैदिक उपासना एवं सन्यास धर्म में दत्तात्रेय भगवान का विशेष महत्व है। इस पर्व के दिन सद्गृहस्थों के यहां व्रत पूजन तो होता ही है लेकिन दशनाम सन्यासियों के अखाड़ों में विशेष अध्यात्मिक प्रवचन भी चलते हैं जिससे आराधना और साधना से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। यह विद्या के परम आचार्य हैं। भगवान दत्तजी के नाम पर दत्त संप्रदाय दक्षिण भारत में विशेष प्रसिद्ध है।
महायोगीश्वर दत्तात्रेय भगवान विष्णु के अवतार हैं। इनका अवतरण मार्गशीर्ष की पूर्णिमा को प्रदोष काल में हुआ। अतः इस दिन बड़े समारोहपूर्वक दत्त जयंती का उत्सव मनाया जाता है। श्रीमद्भभगवत में आया है कि पुत्र प्राप्ति की इच्छा से महर्षि अत्रि के व्रत करने पर *'दत्तो मयाहमिति यद् भगवान्‌ स दत्तः* मैंने अपने-आपको तुम्हें दे दिया -विष्णु के ऐसा कहने से भगवान विष्णु ही अत्रि के पुत्र रूप में अवतरित हुए और दत्त कहलाए। अत्रिपुत्र होने से ये आत्रेय यानि *दत्तात्रेय* कहलाते हैं।
ब्रह्मा के अंश से चंद्रमा, शंकर के अंश से दुर्वासा तथा विष्णु के अंश से दत्तात्रेय श्रीविष्णु भगवान के ही अवतार हैं और इन्हीं के आविर्भाव की तिथि दत्तात्रेय जयंती कहलाती है।
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पूर्णिमा व श्री दत्त जयन्ती की शुभकामनाएें।।