देव उठनी एकादशी

 *देव उठनी ग्यारस-19नवम्बर,सोमवार*
कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे *देवोत्थान एकादशी, देव उठनी ग्यारस, प्रबोधिनी एकादशी* नामों से जानते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु क्षीर सागर में चार महीने की निंद्रा के बाद जागते हैं। कार्तिक मास की एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु जागते हैं इनके जागने के बाद से सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य फिर से आरंभ हो जाते हैं!
*तुलसी पूजा*-सोमवार शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं और ओढ़नी यानी चुनरी अर्पित करें। साथ ही, सुहाग का सामान भी तुलसी को चढ़ाएं। अगले दिन ये चीजें किसी सुहागिन को दान कर देना चाहिए।
*इस दिन जिनका दाम्पत्य जीवन बहुत अच्छा नहीं है वह लोग सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए तुलसी विवाह करते हैं*।
*युवा जो प्रेम में हैं लेकिन विवाह नहीं हो पा रहा है उन युवाओं को तुलसी विवाह करवाना चाहिए*।
देवोत्थान एकादशी का पारण मुहूर्त-
20 नवम्बर को प्रातः 06 बजकर 48 मिनट जे 08 बजकर 56 मिनट तक ।