गुरू+राहू (गुरूचांडाल योग)-
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जब कुंडली में गुरू + राहू की युति हो या ५,७ और ९ द्रष्टि से दोनो की युति बन रही हो तो गुरू चांडाल योग बनता हैं।
इस योग के दुष्परिणाम होते हैं जातक को पिता का सुख कम होना या पिता से अनबन,उच्च पढा़ई में बाधा, संतान या पुत्र संतान का अभाव,नास्तिकता,चरित्रहीनता,व्यक्ति की भौतिकता में रूचि व नवम् भाव में होने पर कोर्ट कचहरी के योग भी बना देता हैं।व्यक्ति को जुआ,सट्टे की लत लग सकती हैं।
लेकिन अगर व्यक्ति का नवम् भाव,लग्नेश व दशम भाव अच्छा हो तो व्यक्ति असम्भव कार्य भी कर सकता है व
समाज में विशिष्ट स्थान प्राप्त होता हैं।
अगर स्त्रीयों की कुंडलीमें ये योग हो तो अबार्शन करवा देता हैं, गर्भाश्य का आपरेशन भी करवा सकता हैं(अगर शुक्र भी दूषित हो)।।
उपाय-*किसी अच्छे जानकार से राहू शांति करवाये।
*पुखराज तर्जनी में अभिमंत्रित कर धारण कर उसका मंत्र रोजाना १०८ बार करे ।
*शुभ मुहुर्त में सोने या तांबे की प्लेट पर गुरू यंत्र बनवाकर पूजा करे।।