कालसर्प दोष-
कालसर्प दोषकुंडली में हैं ये सुनकर ही सब घबरा जाते हैं लेकिन घबराये नही इसे समझे और निदान करे ये कैसे बनता, आप खुद भी समझ सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य और शनि समेत सारे ९ ग्रह,राहू और केतू के बीच आ जाते है(चित्र में इसे समझे)तो कालसर्प दोष बनता हैं अगर एक ग्रह भी इससे बाहर हो तो आंशिक कालसर्प दोष होता हैं।
कालसर्प दोष १२ तरह के होते है जो कुंडली के १२ भावो के अनुसार अलग-२ प्रभाव देते हैं।
कालसर्प दोष की वजह से जीवन में काफी उतार चढा़व व परेशानियों का सामना करना पडता हैं
लेकिन अगर कुंडली में कालसर्प हैं तो उससे घबराना नही चाहिये बल्कि उसका ज्योतिषानुसार दोष निराकरण करना चाहिये ।
क्योकिं कालसर्प दोष कई बार राजयोग भी बना देता हैं पंडित नेहरूजी इसके उदाहरण हैं उनकी कुंडली में भी कालसर्प दोष था और वे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने।
*उपाय-इसकी विधीवत् शांति किसी सिध्द ज्योतिर्लिंग मंदिर में किसी जानकार से करवानी चाहिये।
*रोजाना १०८ बार गायत्री मंत्र का जाप करने से इसका प्रकोप कम होता हैं।