वास्तुशास्त्र टिप्स २

  पश्चिम दिशा के स्वामी वरूण , आयुध -पाश व ग्रह शनिदेव हैं ।​
​१.पश्चिम दिशा में स्नानग्रह या मास्टरबेड रूम हो तो ग्रहस्वामी​ पति-पत्नी को ज्यादातर दूर रहना पड सकता हैं, चाहे काम ​या नौकरी की वजह से या किसी एक की बार बार यात्रा की​ वजह से ,कारण कोई भी हो सकता हैं ​।​
​२.पश्चिम दिशा में रसोईघर हो तो कमाई तो काफी होती हैं​
 ​लेकिन बचत नही होती हैं और घर वालों को पित्त व मस्से​ की बिमारियां हो सकती हैं ।​
​३.पश्चिम दिशा में पश्चिमी कमरें का ढलान नीचा होतो अपयश​ और प्रगति में रूकावटें आती हैं ।​
​४.पश्चिम दिशा में द्वार का मुख नैऋत्यमुखी (पश्चिम-दक्षिण) ​होतो बिमारियां,अकाल मृत्यु या धनहानि का भय बना रहता हैं ।​
​५.पश्चिम दिशा में द्वार का मुख व्यायव्यमुखी (उत्तर- पश्चिम) हो तो​ अदालती कामो में पैसा खर्च होता हैं ।​
६.बरसात के पानी का निकास अगर पश्चिम दिशा से हो तो​  लम्बी बिमारी का शिकार होना पड सकता हैं ।​
(​इसतरह के वास्तुदोष होने पर आप अपने मकान का वास्तु​ ​निरिक्षण करवा उपायो के माध्यम से वास्तुदोष दूर कर​
​सकते हैं ।)