पश्चिम दिशा के स्वामी वरूण , आयुध -पाश व ग्रह शनिदेव हैं ।
१.पश्चिम दिशा में स्नानग्रह या मास्टरबेड रूम हो तो ग्रहस्वामी पति-पत्नी को ज्यादातर दूर रहना पड सकता हैं, चाहे काम या नौकरी की वजह से या किसी एक की बार बार यात्रा की वजह से ,कारण कोई भी हो सकता हैं ।
२.पश्चिम दिशा में रसोईघर हो तो कमाई तो काफी होती हैं
लेकिन बचत नही होती हैं और घर वालों को पित्त व मस्से की बिमारियां हो सकती हैं ।
३.पश्चिम दिशा में पश्चिमी कमरें का ढलान नीचा होतो अपयश और प्रगति में रूकावटें आती हैं ।
४.पश्चिम दिशा में द्वार का मुख नैऋत्यमुखी (पश्चिम-दक्षिण) होतो बिमारियां,अकाल मृत्यु या धनहानि का भय बना रहता हैं ।
५.पश्चिम दिशा में द्वार का मुख व्यायव्यमुखी (उत्तर- पश्चिम) हो तो अदालती कामो में पैसा खर्च होता हैं ।
६.बरसात के पानी का निकास अगर पश्चिम दिशा से हो तो लम्बी बिमारी का शिकार होना पड सकता हैं ।
(इसतरह के वास्तुदोष होने पर आप अपने मकान का वास्तु निरिक्षण करवा उपायो के माध्यम से वास्तुदोष दूर कर
सकते हैं ।)