12 सितंबर- श्री चन्द्र नवमी

 भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को श्री चंद्र नवमी(उदासीन संप्रदाय के प्रवर्तक- जन्म समयावधि सन-1494 से 1643 तक मानी जाती हैं) श्री चंद्र जी का जन्म सिख संप्रदाय के श्री गुरुनानक देव जी के घर हुआ था। श्री चन्द्रजी हमेशा बाल स्वरुप ही रहे इसलिए इन्हें " बालयति " भी कहते हैं आपने सनातन धर्म की रक्षार्थ उदासीन संप्रदाय की स्थापना की। 
 वैदिक ज्योतिष में चाँद (चंद्रमा) को मन का कारक ग्रह कहा गया है। चाँद मन को नियंत्रित करता है, यह किसी की मानसिक स्थिति को मजबूत कर सकता है, किसी की स्थिति को खराब भी कर सकता है। चंद्रमा मजबूत करने के लिए चंद्र नवमी के दिन चंद्रमा की पूजा और व्रत करना चाहिए और श्री चन्द्रजी(उदासीन मंदिर में) को हलवा का भोग लगाना  चाहिए।  इससे व्यक्ति का चंद्र ग्रह बलवान होता हैं।
आर्थिक स्थिति कमजोर है तो चंद्र नवमी के दिन चंद्र यंत्र को घर में स्थापित करें। इससे जल्द ही पैसों की तकलीफ दूर होगी।