मान्यता हैं कि गणेशजी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी मध्याह्न काल सोमवार को स्वाति नक्षत्र को सिंह लग्न में हुआ था इसे गणेश चतुर्थी, विनायक चतुर्थी, कलंक चतुर्थी और लोक मान्यता के अनुसार डंण्डा चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।वैदिक पंचांग के मुताबिक, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 18 सितंबर को दोपहर 12.41 मिनट पर होगी. वहीं 19 सितंबर को दोपहर 13:45 मिनट पर चतुर्थी तिथि समाप्त हो जाएगी।
19 सितंबर को प्रात: काल सूर्योदय से लेकर के दोपहर 12:53 बजे तक कन्या, तुला, वृश्चिक लग्न में भगवान गणेश की स्थापना करने का योग है. इस बीच मध्याह्न 12.04 से 12:48 बजे तक अभिजीत मुहूर्त में मूर्ति की स्थापना बहुत ही शुभ है। इसके बाद दोपहर 13:45 बजे तक भी शुभ मुहूर्त रहेगा।गणेश जी पूजा के आरंभ से लेकर अंत तक अपने जिह्वा पर हमेशा "ॐ श्रीगणेशाय नमः.ॐ गं गणपतये नमः. मंत्र का जाप अनवरत करते रहें।
पूजा के पश्चात इन्हीं मंत्रों से गणेश जी की आरती करें।
गणेश गायत्री मंत्र का 108 बार जाप भी शुभ फल देता हैं।
मंत्र- एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।