पक्ष में श्राद्ध की तिथियां (20 सितंबर से 6 अक्टूबर तक) पूर्णिमा श्राद्ध - 20 सितंबर (आरम्भ-सुबह-05.28 से) प्रतिपदा श्राद्ध - 21 सितंबर द्वितीया श्राद्ध - 22 सितंबर तृतीया श्राद्ध - 23 सितंबर (प्रारंभ-06-54 से) चतुर्थी श्राद्ध - 24 सितंबर (चतुर्थी 08-30 से) पंचमी श्राद्ध - 25 सितंबर ( पंचमी-10-37 से) षष्ठी श्राद्ध - 27 सितंबर ( षष्ठी 15-43 तक) सप्तमी श्राद्ध - 28 सितंबर (सप्तमी-18-16 तक) अष्टमी श्राद्ध- 29 सितंबर ( अष्टमी-20-29 तक) नवमी श्राद्ध - 30 सितंबर दशमी श्राद्ध - 1 अक्टूबर एकादशी श्राद्ध - 2 अक्टूबर द्वादशी श्राद्ध- 3 अक्टूबर त्रयोदशी श्राद्ध - 4 अक्टूबर चतुर्दशी श्राद्ध- 5 अक्टूबर (चतुर्दशी-19-05 तक) अमावस्या श्राद्ध- 6 अक्टूबर अमावस- 16-34 तक) अमावस्या श्राद्ध, अज्ञात तिथि पितृ श्राद्ध, सर्वपितृ अमावस्या समापन। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष में पूर्वजों का तर्पण नहीं करने पर पितृ दोष लगता है। पितृ पक्ष में श्राद्ध अमावस्या तिथि पर की जाती है। पितृ पक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है। अगर किसी मृत व्यक्ति की तिथि ज्ञात न हो तो ऐसी स्थिति में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है।