पूर्णिमा आरंभ: 23 जुलाई 2021, शुक्रवार की सुबह 10 .43 मिनट से
पूर्णिमा समाप्त: 24 जुलाई 2021, शनिवार की सुबह 08 .06 मिनट तक
गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन महाभारत के रचयिता वेदव्यासजी का जन्म हुआ था। वेदव्यासजी ने 6 शास्त्र और 18 पुराणों की रचना की थी।उन्होंने महाभारत के साथ-साथ श्रीमद्भागवत और ब्रह्मसूत्र जैसे पुराणों की रचना भी की थी। उन्होंने श्रीमद्भागवत पुराण में भगवान विष्णु के 24 अवतारों का वर्णन किया था। साथ ही इसी तिथि पर व्यासजी ने सबसे पहले अपने शिष्य और मुनियों को वेदों और पुराणों का ज्ञान दिया था। इसी कारण इस तिथि को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
-गुरु पूर्णिमा पूजन-
गुरूपूर्णिमा के दिन सुबह उठें, स्नान आदि करके सबसे पहले सूर्य को अर्घ्य दें,
सूर्य मंत्र का जाप करे।
अपने गुरु का ध्यान और गुरूमंत्र का जाप करे, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और उनके अच्युत अनंत गोविंद नाम का 108 बार जाप करना न भूलें।
*पंजीरी बनाकर इसका भोग लगाएं. ऐसा करने से परिवार का स्वास्थ्य उत्तम रहता है।
*लक्ष्मी- नारायण मंदिर में कटा हुआ गोल नारियल अर्पित करें,ऐसा करने से बिगड़े कार्य बनेंगे।
*सुख-समद्धि की प्राप्ति के लिए कुमकुम घोल लें और मुख्य द्वारा और घर के मंदिर के बाएं और दायें तरफ स्वास्तिक बनाएं,फिर मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें।
कुंडली में गुरु दोष(राहू और गुरू की युति) है तो भगवान विष्णु की श्रद्धापूर्वक पूजा अवश्य करें।
*इस दिन जरूरत मंदों को यथा शक्ति दान करें। जिससे सभी कष्टों का नाश होगा।
*जिन्हें आर्थिक तंगी हैं तो पीले अनाज, पीले वस्त्र या पीली मिठाई का भोग लगाकर जरूरतमंदों व निर्धनों को दान करें।
"गुरु पूर्णिमा के दिन अपने अपने गुरुओं का दर्शन/आशीर्वाद जरूर लें।"