अक्षय तृतीया पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 5 बजकर 38 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि बहुत खास है। इसके अक्षय तृतीया कहा जाता है। साथ ही अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है, क्योकिं इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखे किया जा सकता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है।
इसी मान्यता के कारण अक्षय तृतीया को एक ऐसा मुहूर्त समझा जाता है, जिस दिन आरंभ किया जाने वाला हर कार्य शुभ होगा और मनोकामनाएं पूर्ण करेगा। कोई भी नया काम, नया घर, नया कारोबार आदि शुरू करने से उसमें बरकत आएगी
अक्षय तृतीया पर किन चीजों के दान का है खास महत्व?
इस शुभ तिथि पर किए गए दान व उसके फल का नाश नहीं होता। इस दिन खासतौर पर जौ, गेहूं, चने, सत्तू, दही-चावल, गन्ने का रस, दूध के बनी चीजें जैसे मावा, मिठाई आदि, सोना और जल से भरा कलश, अनाज, सभी तरह के रस और गर्मी के मौसम में उपयोगी सारी चीजों के दान का महत्व है। पितरों का श्राद्ध और ब्राह्मण भोजन कराने का भी अनन्त फल मिलता है